40 लाख करोड़ रु. के वर्तमान रियल एस्टेट मार्केट की 2034 तक 124 लाख करोड़ रु. तक पहुंचने की है उम्मीद।

भारत में रियल एस्टेट तेजी से बढ़ रहा है| देश में रेजिडेंशियल के साथ साथ कमर्शियल रियल एस्टेट की मांग में भी बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है। भारत में वर्तमान समय में रियल एस्टेट मार्केट अनुमानित तौर पर 40 लाख करोड़ रुपये का है. जिसके भविष्य में ३ गुना से भी अधिक बढ़ने की उम्मीद हे। एक्सपर्ट्स के अनुसार आने वाले 10 साल में यानी 2034 तक देश का रियल एस्टेट मार्केट 124.58 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। सीआईआई और नाइट फ्रैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, तेज इकोनॉमिक ग्रोथ के परिणामस्वरूप, 2034 तक भारत का रेसिडेंशियल मार्केट 75.7 लाख करोड़ रुपए और ऑफिस स्पेस मार्केट 10.4 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है। इसी के साथ देश की कुल जीडीपी वर्तमान में 7.3% की हिस्सेदारी रखने वाले रियल एस्टेट सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़कर 10.5% होने की संभावना है।

 

ऑफिस स्पेस की डिमांड में बढ़ोतरी

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) के फ्लेक्सिबल ऑफिस और को-वर्किंग स्पेस के अतिरिक्त, आईटी सेक्टर में बढ़ती मांग के चलते अगले 10 सालों में लगभग 170 करोड़ वर्गफीट का ऑफिस स्पेस की आवश्यकता होने की उम्मीद है। वर्तमान में देश में करीब 1,700 जीसीसी स्थापित हैं, जिनकी संख्या 2034 तक 2,880 तक पहुंचने की संभावना है।

  • 7.8 करोड़ की डिमांड निकलेगी अगले एक दशक में
  • 68 फीसदी आबादी 15-64 साल उम्र की होगी देश में
  • 70 शहर 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले होंगे
  • 9.5 फीसदी आबादी हाई और अल्ट्रा हाई नेटवर्थ वालों की होगी
  • 42.5 फीसदी आबादी शहरों में रहने लगेगी

Tier-2 और Tier-3 शहरों का रियल एस्टेट सेक्टर की ग्रोथ में महत्वपूर्ण योगदान

Tier-2 और Tier-3 शहरों ने रियल एस्टेट सेक्टर की ग्रोथ में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक देश के 70 शहरों में 10 लाख से अधिक लोग रहेंगे, जिससे 42.5% आबादी शहरों में वास करेगी। इसके परिणामस्वरूप, Tier-2 और Tier-3 शहरों में भी रेसिडेंशियल और ऑफिस रियल एस्टेट की डिमांड और सप्लाई में तेजी से वृद्धि की उम्मीद है। इनमें भोपाल, इंदौर, लखनऊ, वडोदरा, कानपुर, नागपुर, और रायपुर जैसे शहर शामिल हैं। यहाँ, सस्ती प्रॉपर्टी और सस्ती लेबर की सुविधा के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट तेजी से हो रहा है। इसके अतिरिक्त, आईटी और सर्विस इंडस्ट्री भी इन शहरों में तेजी से विकसित हो रहे हैं। Tier 2 शहरों की क्षमता को देखते हुए, प्रमुख कंपनियाँ और इंडस्ट्रीज इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कॉस्ट इफेक्टिव कॉस्ट इफेक्टिव इन्वेस्टमेंटस कर रही हैं, जिनमे मुख्य रूप से  इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऑफिस स्पेस, वेयरहाउसिंग, को-वर्किंग स्पेस, और रिटेल सेंटर्स शामिल हैं। माध्यम वर्ग की बढ़ती आय भी कई कंपनियों को अब इन शहरों की और आकर्षित कर रहीं हैं जिससे प्रेरित होकर कई कंपनियाँ अब इन शहरों में अपने ऑपरेशन का विस्तार करने की योजना बना रही हैं।

(Source- Knight Frank India - CII Report)

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