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घर में कुछ विशेष जगहों पर वास्तु दोष की वजह से विवादों में फंसते हैं लोग। घर की कुछ दिशाओं में वास्तु दोष हो, तो कोर्ट केस और अदालती कार्यवाही का शिकार होना पड़ सकता है। वास्तु एक्सपर्ट एस.के. मेहता से जानिए इन दोषों के निवारण को...
- सबसे पहले वायव्य दिशा के दोष दूर करने का प्रयत्न करें। ध्यान रखें कि वायव्य दिशा ईशान दिशा से ऊंची रहनी चाहिए।
- वायव्य दिशा में पानी का टैंक, बोंरिग, सेप्टिक टैंक, खड्डा, नीचा फर्श या विस्तार हो, तो इस दोष की वजह से घर में अशांति रहती है। रिश्तेदारों व पड़ोसियों से सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं और रास्ते चलते लोग भी दुश्मन बन जाते हैं।
- वायव्य दिशा के वास्तु दोष जहां विवादों का प्रमुख कारण बनते हैं, वहीं अग्निकोण में दोष हो, तो ऐसे घर में रहने वाले लोगों का स्वभाव अत्यधिक उग्र हो जाता है और उनकी सहन शक्ति कम हो जाती है। ऐसे में या तो वो किसी पर कोर्ट केस कर देते हैं या उनके ख़िलाफ़ पुलिस, कोर्ट या अन्य सरकारी विभागों में, लोग उनकी शिकायतें करते रहते हैं और मुक़दमे दर्ज करवा देते हैं।
- वायव्य दिशा में अगर कोई पानी का टैंक, बेसमेंट खड्डा या नीचा फर्श या ढलान या विस्तार हो, तो इस दोष को तुरन्त सही करवाएं।
- अगर किसी कारण से वायव्य दिशा के दोष दूर करवाना संभव ना हो, तो ईशान कोण को हल्का नीचा और स्वच्छ रखने का प्रयत्न करें।
- इसी प्रकार अग्निकोण में अगर विस्तार, ढलान, पानी का टैंक, खड्डा या बेसमेंट हो, तो इस दोष को तुरंत सही करवाएं।
- यदि इसे सही करवाना संभव ना हो, तो ईशान कोण और पूर्व दिशा से भारी सामान हटा दें और जहां तक हो सके इस दिशा के खिड़की-दरवाज़ों को खोलकर रखें।
- अगर आप कोर्ट केस और मुकदमेबाजी से बहुत ज्यादा परेशान हैं, तो ध्यान रखें कि घर की दक्षिण और पश्चिम दिशा वाली खिड़कियां व दरवाजे ज्यादा खुले नहीं रहने चाहिए ,क्योंकि इस दिशा से आने वाली अशुभ ऊर्जा से आपकी समस्या बढ़ सकती है।
- आजकल घर के दरवाजों में देहरी का चलन कम होता जा रहा है, जबकि वास्तु के नजरिए से देखा जाए, तो दरवाज़ों में देहरी लगाकर भी आप इनके दोष को कम कर सकते हैं।