Onal Kothari
Architect
Anchor - Onal Kothari
Photo Courtesy : instat.co, certified-lighting.com

वॉल स्कोंस एक साथ कई इंपैक्ट डालता है, इसके कई विकल्प हमें मिलेंगे जैसे यह जगह की खूबसूरती को बढ़ाता है, माहौल तैयार करता है, टास्क तो करता ही है। सभी वॉल लाइट्स सिर्फ घर के डेकोरेटिव पीसेस ही नहीं हैं, बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा काम कर सकती हैं। वॉल स्कोंस को होम डेकोर में एलीगेंस जोड़ने के साथ-साथ कुछ बदलावों के साथ इन्हें पढ़ने और अन्य सामान्य कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वॉल स्कोंस किसी रूम के बैकग्राउंड के साथ भी कॉर्डिनेट कर सकते हैं…कैसे? बता रही हैं आर्किटेक्ट ओनल कोठारी …

  1.  वॉल स्कोंस का कॉमन प्लेस
    वॉल स्कोंस का इंस्टॉलेशन आमतौर पर कॉरिडोर, हॉल और डाइनिंग रूम में किया जाता है। हर दो वॉल स्कोंस के बीच की जगह को डेकोरेशन इंपैक्ट के नजरिए से इस तरह से छोड़ा जाता है, ताकि कमरे में लाइट पर्याप्त रूप से पड़ते हुए प्रभावशाली भी रहे। स्कोंस को एक्सेंट लाइटिंग के तौर पर बाथरूम में भी यूज किया जाता है, खासतौर से वैनिटी के लिए मिरर के साइड में, ताकि शेविंग या मेकअप करते वक्त अच्छी लाइटिंग मिले। आजकल बेडरूम में पढ़ने के लिए लाइटिंग का विकल्प ही वॉल स्कोंस हो गए हैं।
  2. वॉल लाइटिंग का इंस्टॉलेशन
    वॉल लाइटिंग को सुरक्षा के नजरिए से भी जोड़कर देखा जाता है, तो इंडोर और आउटडोर दोनों ही जगहों के लिए वॉल लाइट्स की कई रेंज उपलब्ध हैं, जिसमें पोर्च, लिविंग रूम, बेडरूम, बगीचे इत्यादि सहित कई विकल्प शामिल हैं। सीलिंग लाइट्स की मदद से आसानी से सोफेस्टीकेटेड एन्वायरमेंट तैयार किया जा सकता है। ट्रेडिशनल डेस्क की तुलना में ऑफिस और क्राफ्ट रूम में यह ज्यादा एफिशिएंट होती हैं। किसी स्कल्पचर, बिल्डिंग मॉडल या किसी अन्य आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर की डिटेल्स को बड़ा करके दिखाने में उसके ठीक ऊपर लगे वॉल-माउंटेड स्कोंस मदद करते हैं। जब जगह सीमित हो, तो यह और भी कारगर हो सकते हैं। हर लाइट के लिए लगाए गए सेपरेटेड स्विचेस उसे बेहतर कंट्रोल करने में मदद करेंगे, साथ ही बेस्ट सीन क्रिएट करने में भी।
  3. कितने वॉल स्कोंस की जरूरत होगी
    प्लेसमेंट, वॉल पर कितनी रोशनी की जरूरत है, उस पर निर्भर करेगा। सही जगह पर लगाए गए वॉल स्कोंस वॉल से लाइट्स के बाकी के रिसोर्सेस की बचत होती है। कुछ बेसिक बातों का विशेष ध्यान रखना होता है, जैसे रोशनी सीधे आंखों को डिस्टर्ब न करती हो, चुभती न हो, तब जबकि इसे पूरी तरह से डेकोरशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हो। सीलिंग की हाइट और फिक्सिंग, आंखों के लेवल को ध्यान में रखकर की जाए। आई लेवल वॉल लाइट्स आंखों को खराब भी कर सकती है। प्रकाश की सीधी और तेज किरणें घातक होती हैं। डेकोरेटिव परपज़ से भी जरूरत से ज्यादा वॉल लाइट्स का इस्तेमाल न करें, वरना उसका इंपैक्ट खराब हो जाएगा और वह जगह अनसोफेस्टीकेटेड लगने लगेगी। कुछ एलीमेंट्स भी ध्यान रखें, जैसे कमरे का साइज़ क्या है, डायमेंशन, डेकोर, परपज़, आदि। जरूरी बैकग्राउंड लाइट के साथ कमरे को लेआउट करें, मात्रा और उद्देश्य से अधिक वॉल लाइट्स न हों।
  4. वॉल लाइट्स के प्रकार
    मार्केट में वॉल लाइट्स के ढेरों प्रकार मौजूद हैं। ऐसी वॉल लाइट्स चुनें, जो ज्यादा कॉम्प्लीकेटेड न हो। इस्तेमाल और इंस्टॉलेशन में आसान हो। इसी श्रेणी में वॉल लाइट्स के कुछ बेसिक टाइप जिनके बारे में आपको जानना चाहिए, वह हैं –

    स्विंग आर्म एंड रीडिंग इन्हें यहां-वहां मोड़ना या इनकी दिशा बदलना आसान होता है, क्योंकि ये काफी फ्लेक्ज़िबल होते हैं। जिस जगह पर रोशनी की जरूरत है, इनका डायरेक्शन चेंज किया जा सकता है। इसलिए खासतौर से इन्हें रीडिंग एरिया में लगाया जा सकता है।

    बाथ एंड वैनिटी लाइट्स बिना ज्यादा चमक के साथ तेजी से ऊपर की ओर रोशनी देकर फोकस करती है।

    डाउनलाइट्स इस तरह की लाइट्स को ऊंचे एलीवेशन पर ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, ताकि नीचे पर्याप्त और सीधी रोशनी पड़ सके।

    अपलाइट्स इसे डेकोरेटिव परपज़ से इस्तेमाल किया जाता है। जैसे बीम्स में लगाकर उस जगह को हाइलाइट करना।

    पिक्चर लाइट्स एंड स्पॉट्स इस तरह के वॉल स्कोंस जैसा कि नाम से ही पता चलता है किसी आर्टवर्क, नेमप्लेट, आर्किटेक्चरल वर्क, स्कल्पचर और पिक्चर्स के ऊपर लगाए जाते हैं, ताकि उन्हें हाइलाइट्स किया जा सके।

  5. वॉल लाइट्स को जोड़ें डेकोर से
    किसी रूम के इंटीरियर के अनुसार वॉल लाइटिंग को डेकोर के साथ जोड़ना आसान होता है। कुछ वॉल स्कोंस में अपलाइट्स होती हैं, तो कुछ में डाउनलाइट्स, आप अपनी जरूरत के हिसाब से इनमें से चुन सकते हैं। मल्टीपल वॉल स्कोंस को सेंटर पीस के लिए किसी सिंगल पीस को हाइलाइट करने के लिए उसके ऊपर राउंड मैनर में लगाया जा सकता है। कई वॉल स्कोंस में प्रत्येक के लिए अलग-अलग स्विचेस होते हैं और इनमें पिनिंग ऑप्शन होता है, ताकि हार्डवायरिंग नजर न आए, इससे डेकोर में काफी मदद मिल जाती है। एक बार तय कर लें कि इसका यूज कैसे होना है, उसके बाद आप चाहें तो रूम की थीम के साथ मिक्स करके भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अलग-अलग तरह के पैटर्न, कलर्स के साथ आप स्ट्राइकिंग डेकोर में भी इसे बदल सकते हैं।
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About the author
Onal Kothari
Architect

Onal Kothari started her design career with commercial interior designing. She is an architect, blogger, traveller , urban sketcher and imaginator. She interned with Laurie Baker architects and worked for Avnish Singh Design before venturing out on her independent working. Started working on interior architecture projects quite early in her career, she believes that all the designers have the perfect project in their mind and they follow it in every step of their career.

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