नए घर में शिफ्ट करना, नए सफर की शुरुआत करने जैसा होता है। जहां नई वॉल, फ्रैश पेंट, बदला वातावरण आपके अंदर उत्साह लेकर आते हैं, वहीं अगर आप अपने साथ घर के अहम सदस्य पेट्स को भी लेकर नए घर में प्रवेश कर रहे हैं, तो थोड़ा चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है, कैसे और किस तरह पेट्स इस नए माहौल में खुद को एडजस्ट कर पाएंगे, बता रहे हैं आर्किटेक्ट आलोक भगत….
- जाने से पहले, पशुचिकित्सक से सुझाव लें
डॉग, कैट या बनी, के साथ नए घर में शिफ्ट करने के लिए पहला कदम होगा- तैयारी। इससे फर्क नहीं पड़ता कि नया घर कितना पास है या कितना दूर। बच्चों की तरह पेट्स को भी बताना जरूरी है। पेट्स की हेल्थ या उसके व्यवहार में बदलाव नजर आने पर तुरंत पशुचिकित्सक से संपर्क करें। किसी भी आपात स्थिति के लिए दवाओं का पर्चा लेना न भूलें। - जाने वाले दिन, पेट्स सिटर को असाइन करें
अपने पेट्स को एक सुरक्षित और भावनात्मक जुड़ाव महसूस करवाना जरूरी है। इस पूरी शिफ्टिंग प्रोसेस के दौरान, अपने जिम्मेदार फैमिली मेंबर्स में से किसी ऐसे शख्स को पेट्स के साथ पूरे समय रहने के लिए कहें, जिसे पेट्स पसंद करते हों, ताकि वे पेट्स की पूरी जिम्मेदारी बखूबी संभाल सकें। लेकिन याद रहे, पेट्स की जिम्मेदारी उठाने वाले शख्स से घर की शिफ्टिंग में कोई मदद न लें। - लाड़-प्यार, नए वातावरण से परिचय
उसके साथ हर छोटी-से-छोटी चीजों की खुशी बांटें। नए माहौल से उसका परिचय करवाते जाएं। अपने पेट्स का पसंदीदा बेड, क्रेट, खिलौने, खाने की चीजें जैसे जानी-पहचानी वस्तुएं लाना न भूलें। अपनी पसंदीदा, परिचित चीजों को देखकर पेट्स की चिड़चिड़ाहट कम होगी और जल्द ही नए घर में खुद को एडजस्ट करने में उसे मदद मिलेगी। बेहतर विकल्प है ट्रांसफर होने से पहले पेट्स को अपनी चीजों, जैसे कैरियर या जरूरी सामान का पता लगाने की ट्रेनिंग दें, ताकि शिफ्ट करने वाले दिन तक वह इसके आदि हो जाएं। - चैक, आस-पास का माहौल
अपने नए पड़ोसी से घर जाकर पता करें कि नई जगह पर कोई आक्रामक जानवर तो नहीं है या नए घर में कोई चोट लगने का खतरा या पेट्स को नुकसान पहुंचा सकने वाली चीजों के बारे में जान लें। पैदल चलने या घूमने वाले रास्तों के बारे में पता करें। सोसायटी में रहने का मतलब है लोगों से संपर्क में रहना, इसलिए अपने साथ-साथ पेट्स को भी नई बिल्डिंग, नए लोग, नए रास्तों से परिचित करवाएं। - मूव करने वाले दिन की चैकलिस्ट
पेट्स जिन चीजों के आदी हैं, जिनका वे इस्तेमाल नियमित रूप से करते हैं, उन्हें ले जाना न भूलें। उनकी सारी जरूरी चीजों, जैसे उनका खाना, दवाइयां, खिलौने, बर्तन, पानी, डिस्पॉजेबल, लिटर बॉक्स और फर्स्ट एड किट, टॉवेल आदि को एक बैकपैक में संभाल लें। - मूव करने वाले दिन, ट्रांसपोर्ट
दूरी के हिसाब से ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था निर्भर करती है। आप तीन तरह के ट्रांसपोर्ट ले सकते हैं –
- कार - कार ट्रांसपोर्ट के लिए, ऐसी कार का चुनाव करना होगा, जिसकी सिटिंग आरामदायक हो। पेट्स, पेट सिटर और उसकी जरूरी चीजों के साथ कार में एडजस्ट हुआ जा सके। पेट्स के व्यवहार पर नजर रखें और सुनिश्चित करें कि कार की विंडो से पेट्स अपने सिर को बाहर न निकाल रहे हों। जरूरत पड़ने पर ब्रेक ले-लेकर आगे बढ़ें, ताकि स्थितियां अनियंत्रित होने पर संभाली जा सकें।
- ट्रेन - भारतीय रेल, फर्स्ट क्लास एसी कोच में सुविधा देता है, जिसके अंतर्गत पैसेंजर अपने पेट्स के साथ मूव कर सकते हैं या फिर सह-यात्रियों को आपत्ति न हो, तो ब्रेक वैन में भी आप पेट्स को उनके सामान के साथ ट्रांसपोर्ट कर सकते हैं। याद रखें, ब्रेक वैन में पेट्स की देखभाल की जिम्मेदारी उनके ऑनर की होती है या आप एक गार्ड कोच भी अलॉट कर सकते हैं।
- फ्लाइट - हालांकि सारे ही एयरलाइंस अपने पेट्स के साथ सफर करने की सुविधा नहीं देते, लेकिन कई सारी फ्लाइट्स हैं, जहां आपके साथ छोटे पपीज़ या कैट को ले जाने की अनुमति होती है। रेलवे की तरह एयरलाइंस भी यह सुविधा तब देगी, जब आपके पेट्स अच्छी तरह ट्रेंड हों। पेट्स के लिए अलग से केबिन दिया जाएगा, जिसके लिए आपको अतिरिक्त शुल्क देना होगा।