Alok Bhagat
Architect
Photo Courtesy : Pexel

छत किसी भी घर को न सिर्फ बाहरी वातावरण से बचाती है, बल्कि घर को एक नया स्वरूप भी प्रदान करती है अपनी अलग-अलग स्टाइल से। अलग-अलग तरह की छत के स्ट्रक्चर के फायदे-नुकसान के बारे में हम जानते हैं…

  1. ट्रेडिशनल या कट रूफ
    इस प्रकार की छत बहुत ही ट्रेडिशनल होती है, और 35 डिग्री के एंगल पर झुकी हुई होती है। इसे इस तरह से बनाया जाता है कि इसका जो भी मटेरियल होता है वह वैदरप्रूफ होता है यानी वातावरण से इसको कोई नुकसान नहीं होता, और इसमें जो रूफिंग मटेरियल होते हैं, उसमें पैक टाइल्स और थैच का इस्तेमाल किया जाता है। यह इतना अनुकूल होता है कि इसे आसानी से बदला भी जा सकता है। और इसकी संरचना बहुत ही महंगी होती है, क्योंकि इसके निर्माण के लिए हमेशा विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है, जो इस काम में निपुण रहे हों।
  2. फ्लैट रूफ
    यह थोड़ी सी झुकी हुई होती है और बारिश के पानी को छत पर इकट्‌ठा होने से रोकती है। यह काफी कॉमन है, क्योंकि इनसे पूरे घर को काफी ओपन स्पेस मिल जाता है, इससे घर भी काफी खुला-खुला लगता है और प्लांटेशन व सोलर पैनल लगाने की जगह भी मिल जाती है। इसका मेंटेनेंस और क्लीनिंग थोड़ा मुश्किल काम है क्योंकि छत अगर मैटल से बनाई जाएगी, तो काफी तेज बारिश या खराब मौसम में इन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ेगी।
  3. ट्रश्ड रूफ
    काफी कॉमन कॉन्सेप्ट है नॉर्थ इस्ट इंडिया में, ये खुद दो भागों में बंटा हुआ है, जिसके अपने फायदे और नुकसान होते हैं। जैसे कि फिंक ट्रश और एटिक ट्रश। फिंक ट्रश बहुत ही सस्ता और लाइट वेट का छत है, जो तुलनात्मक रूप से छोटी जगहों पर बनाया जाता है, बहुत ही सिंपल सी रूफ डिजाइन है और एक दिन में ही इसको बनाया जा सकता है। लेकिन इसमें ज्यादा स्टोरेज स्पेस नहीं होती, और थोड़ा प्रैक्टिकल भी नहीं है। क्योंकि जो रूफ डिजाइन है, उसमें बहुत सारे जोड़ होते हैं, बहुत सारे उतार-चढ़ाव होते हैं और खिड़कियां होती हैं और इससे कंस्ट्रक्शन जो है, वो थोड़ा कम स्पेशियस होता है, जिससे जगह कम पड़ती है। ओपन या एटिक ट्रश में ये काफी जगह देता है और सिंप्लीफाई रूफ डिजाइन होती है, ये थोड़ी महंगी होती है और हैवी लकड़ी से बनी हुई होती हैं।
  4. कर्व्ड रूफ
    ये काफी अट्रैक्टिव लुक देते हैं क्योंकि इससे घर बहुत सुंदर लगता है। ये प्लायवुड से बने होते हैं, जोकि लकड़ी के ग्लूलम बीम्स को कवर करता है। कवर होने से वो लैमिनेट हो जाते हैं, जिससे इसमें नमी बढ़ने के आसार बहुत कम हो जाते हैं। इसको आमतौर पर जिंक या कॉपर के मटेरियल से कवर किया जाता है और इसके साथ में एक आर्टिफिशियल पेड़-पौधे जिसको टर्फ कहते हैं, से कवर कर दिया जाता है, जो इसको ग्रीनरी वाला लुक देते हैं।
  5. ग्रीन रूफ
    पर्यावरण की दृष्टि से ये छत काफी अनुकूल और वातावरण के लिए अच्छी मानी जाती है। ग्रीन रूफ, किसी भी घर को काफी हरा-भरा सा लुक दे सकती है। इसके कई फायदे होते हैं, जैसे यह कार्बन डायऑक्साइड को ग्रहण कर लेता है, घर को अंदर से तेज गर्मी और ठंड से बचाता है। बारिश के पानी को अच्छी तरह से एब्जॉर्ब करता है, लेकिन इसके लिए घर को अंदर से सटीक तरीके से लेयरिंग और वॉटरप्रूफिंग की जरूरत होती है। चूंकि पौधे पानी को एब्जॉर्ब करते रहते हैं, इसलिए इसमें पेड़-पौधों के चयन का भी काफी रोल होता है।
  6. इंसुलेशन एंड वॉर्म रूफ
    जरूरत के मुताबिक इंसुलेशन का लेवल अलग-अलग प्रकार से हम कंस्ट्रक्ट कर सकते हैं। लॉफ्ट अगर लिविंग स्पेस में है और वहां पर हमें ये छत बनानी है, तो वो सीधे टेढ़ी वाली यानी तिरछी छत के नीचे इसको बनाया जा सकता है लेकिन वो एरिया अगर लिविंग एरिया के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना है और सिर्फ घर में अंदर इस्तेमाल किया जाना है, तो सीलिंग के ऊपर भी लगाया जा सकता है। इंसुलेशन के दो अलग-अलग सामान्य तरीके हैं, जो आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं, एक है- गर्म रूफ और वॉर्म रूफ के रूप में इसका यूज, जो सीधे राफटर्स के ऊपर लगाते हैं, और दूसरा तरीका है सीरिज ऑफ इंसुलेटर पैनल यानी अलग-अलग प्रकार के इंसुलेटेड पैनल, जिससे गर्मी और ठंडक से बचाव हो, उसको एक लाइन में लगा देना।
  7. स्ट्रक्चर का चुनाव
    सबसे पहला निर्णय आपको ये लेना चाहिए कि आपको किस जगह को कितने लंबे समय तक किस रूप में इस्तेमाल करना है।अगर जहां आपको कंस्ट्रक्शन करना है, वो लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं की जा रही है, तो फिंक ट्रश तैयार कर सकते हैं, लेकिन कुछ समय बाद या भविष्य में हमें उस जगह का इस्तेमाल करना है, तो बेहतर है कि हम दूसरी किसी प्रकार की छत का इस्तेमाल करें।
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About the author
Alok Bhagat
Architect

Creative thinker from Maulana Azad National Institute of Technology, Bhopal, this young designer believes architecture as a character which gives people a different way of looking at their surroundings. He has devoted significant time on the main deck assisting senior architects from the very beginning.Currently working on a follow-up to his upcoming designs, Alok Bhagat does not like being limited or defined by a particular style and his design style is intuitive and changes with every project.

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