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घर की प्लानिंग करते समय किचन की लोकेशन, डिजाइन और फंक्शनैलिटी जैसी बातों पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है। आर्किटेक्ट अमन गांधी बता रहे हैं अलग-अलग तरह के किचन काउंट टॉप्स के बारे में, जो जरूरत के हिसाब से यूज किए जा सकते हैं।
1. कांक्रीट : यह एक बढ़िया चॉइस है क्योंकि यह किचन की डिजाइन के मुताबिक यूज की जा सकती है। खूबसूरत और मजबूत क्वालिटी वाला कांक्रीट हीट और स्क्रैच रेसिस्टेंट होता है। ये हैवी और सॉलिड सरफेस वाला होता है। इसे मनचाहे रंग में बनाया जा सकता है। कांक्रीट काउंटर टॉप बहुत खूबसूरत और लुभावने लगते हैं। ये काउंटर टॉप कम से कम और ज्यादा से ज्यादा रेंज में भी बनाए जा सकते हैं। हालांकि इस मटेरियल के कई फायदे हैं, लेकिन वाॅटर सीपेज एक बड़ी खामी है।
2. स्टेनलेस स्टील : ये किचन को आधुनिक और इंडस्ट्रियल फील देता है। ये हीट रेजिस्टेंट, स्ट्रॉन्ग और मेंटेनेंस में आसान होता है। इसे अपनी जरूरत के मुताबिक बनवाया जा सकता है। आप इसमें ग्लॉसी और मैट फिनिश दोनों तरह के ऑप्शन पा सकते हैं। इस मटेरियल की सबसे बड़ी खामी ये है कि दूसरे मटेरियल के मुकाबले इसकी बनवाई काफी महंगी पड़ती है। साथ ही ये छूने पर काफी ठंडा होता है।
3. सॉलिड सरफेस : जैसा कि नाम से जाहिर है ये मटेरियल सॉलिड और सपाट होता है। सरफेस पर लगने वाले स्क्रैच हटाए जा सकते हैं। इस तरह के मटेरियल को आपकी जरूरत के मुताबिक बनाया जा सकता है। लेमिनेट्स के मुकाबले ये मटेरियल थोड़ा सा अलग होता है, हालांकि इसको बनाने की प्रोसेस लगभग वैसी ही होती है। जब किचन में इसका यूज किया जाता है, तो ये प्लास्टिक जैसा लुक और फील देता है। अलग-अलग कलर्स और पैटर्न में उपलब्ध होने वाला ये मटेरियल सपाट और स्टेन रेजिस्टेंट होता है। इसकी खामी ये है कि इस पर ज्यादा गर्म सामान रखने से ये खराब हो जाता है और इसकी रिपेयरिंग काफी महंगी पड़ती है।
4. सिरामिक टाइल : ये मटेरियल ड्यूरेबल, आसानी से साफ होने वाला और अफोर्डेबल है। सिरामिक टाइल्स पर गर्म बर्तन भी रखे जा सकते हैं। इसमें कई कलर्स, टैक्सचर्स और डिजाइन की रेंज उपलब्ध होती है। इसकी खामी ये है कि ये एक समान समतल नहीं रह पाते और इनकी ऊपरी परत निकल सकती है, इन पर दाग-धब्बे भी पड़ सकते हैं।
5. नैचुरल स्टोन (ग्रेनाइट और मार्बल) : ये मटेरियल्स किचन को एक खूबसूरत और महंगा लुक देते हैं। दोनों ही मटेरियल वाॅटर प्रूफ और हीट प्रूफ हैं। हालांकि ये महंगे होते हैं और इनमें अगर ठीक ढंग से सीलिंग न की जाए, तो पानी रिसने की प्रॉब्लम भी होती है। इसके अलावा इनमें दाग-धब्बे भी लग सकते हैं। आजकल किचन में आमतौर पर यूज किए जा रहे ग्रेनाइट में अच्छी किस्म की सीलिंग होती है, जिसके कारण ये मटेरियल लगभग मेंटेनेंस फ्री हो गया है। ग्रेनाइट काउंटर टॉप लगवाते समय ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि ये सही तरीके से लग गया हो, नहीं तो इस पर ज्यादा दबाव या वजन पड़ने से ये क्रेक भी हो सकता है।
6. इंजीनियर्ड स्टोन : ये 90% क्वार्ट्ज मटेरियल से बना होता है और कई कलर्स में मिलता है। इंजीनियर्ड स्टोन का सरफेस सपाट होता है और इस पर स्क्रैच और दाग-धब्बे नहीं लगते। इसमें नैचुरल स्टोंस की तरह बार-बार सीलिंग की प्रॉब्लम भी नहीं होती। इसकी एकमात्र खामी ये है कि ये बहुत महंगे होते हैं।
7. लेमिनेट्स : प्लास्टिक कोटेड सिंथेटिक मटेरियल से बने सपाट और स्मूद सरफेस वाले लेमिनेट किचन काउंटर टॉप साफ करने में भी आसान होते हैं। इसके पीस अलग-अलग साइज में मिलते हैं और किनारों पर फिनिशिंग की होती है। ये कई कलर्स में अवेलेबल होते हैं। लेमिनेट्स का मेंटेनेंस भी काफी आसान है, ये महंगा भी नहीं होता और मजबूत व टिकाऊ भी होता है। हालांकि इस पर पड़ने वाले स्क्रैच को रिपेयर नहीं किया जा सकता, साथ ही ये मटेरियल फायर प्रूफ भी नहीं होता।
8. लकड़ी या लकड़ी के ब्लॉक्स : वुडन काउंटर टॉप किचन को एक खूबसूरत और बेहतरीन लुक देते हैं। ये कई कलर्स और फिनिशेस में अवेलेबल होते हैं। मैपल और ओक जैसी हार्ड वुड का इस्तेमाल आमतौर पर काउंटर टॉप बनाने के लिए किया जाता है। ये आसानी से साफ किए जा सकने वाले, स्मूद होते हैं और इन्हें घिसाई व सील करके फिर से नया बनाया जा सकता है। ध्यान रखें ये ब्लॉक पानी से खराब हो जाते हैं और समय के साथ इनमें दाग-धब्बे लग जाते हैं। इन पर लगने वाले स्क्रैच को मैन्युफैक्चरर के निर्देशों के मुताबिक ठीक करवाना पड़ता है। इनकी सबसे बड़ी खामी ये है कि ये बिलकुल भी फायर रेजिस्टेंट नहीं होते।