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फीचर वॉल किसी भी डेकोरेटिव स्कीम में पंक्चुएशन लाने का बेहतरीन तरीका है। कोई भी बोरिंग वॉल अपने आप में खूबसूरत लग सकती है या फिर किसी खास चीज जैसे पेंटिंग वगैरह को हाइलाइट करने के लिए मजबूत बैकग्राउंड का काम भी कर सकती है। आर्किटेक्ट मनमोहन खन्ना बता रहे हैं कुछ तरीके, जिनसे आप बोरिंग वॉल को फीचर वॉल में तब्दील करके उसे सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बना सकते हैं ...
- स्मूद टैक्सचर पेंट्स : ये खास तरह के पेंट होते हैं, जो प्लास्टर वाली दीवारों पर लगाए जाते हैं। ये कई तरह के टैक्सचर में मिलते हैं, जैसे गोले या लहरदार।
- दानों वाला रफ टैक्सचर : स्मूद टैक्सचर के विपरीत ये छूने पर एक खुरदुरी फिनिश देते हैं, उदाहरण के लिए इनमें रेत मिलाकर इस तरह का टच दिया जा सकता है।
- क्लैडिंग : आप अपनी दीवार पर कोई आइटम या मटेरियल लगवा सकते हैं। सबसे पॉपुलर तरीका है ग्रेनाइट या मार्बल जैसे स्टोन दीवार में जड़ना।
- हार्ड पैनलिंग : यहां पर लकड़ी और प्लायवुड (विनियर या पॉलिश के साथ), पीवीसी और WPC (वुड प्लास्टिक कम्पोजिशन) जैसे मटेरियल के पैनल दीवार पर लगवाए जा सकते हैं। ग्लास भी एक और मटेरियल है, जिसका इस्तेमाल पैनलिंग के लिए किया जा सकता है। इसमें भी कई ऑप्शन हैं- स्टैंड ग्लास, मिरर ग्लास, टैक्सचर्ड ग्लास, एन्ग्रेव्ड ग्लास, एच्ड ग्लास वगैरह।
एक रफ टैक्चर्ड दीवार इस अरेंजमेंट के साथ काफी खूबसूरत और देसी लुक दे रही है।
- स्पेशलाइज्ड फैब्रिक पैनलिंग : इंसुलेटिंग मटेरियल्स जैसे थर्मो-फ्रीज और सॉफ्ट बोर्ड को टेपेस्ट्री या कपड़े से कवर किया जा सकता है और पैनल बनाई जा सकती है। इनका इस्तेमाल आमतौर पर ऑडिटोरियम्स, म्यूजियम्स, साउंड रिकॉर्डिंग स्टूडियोज, सिनेमा हॉल और म्यूजिक रूम्स में डेकोरेशन के साथ-साथ इंसुलेशन के उद्देश्य से किया जाता है।
- रैगुलर फैब्रिक कवरिंग : हर तरह का कपड़ा जब फ्रेम करवाकर दीवार पर फिक्स किया जाता है, तो वह फैब्रिक कवरिंग कहलाता है। ये कई तरह के मटेरियल, जैसे जूट, सैटिन, सिल्क, टेपेस्टरी, प्लास्टिक, नायलोन, वैलवेट और ब्रोकेड में उपलब्ध होते हैं।
- वाॅलपेपर : ये भी एक पॉपुलर ऑप्शन है। विनायल वाॅलपेपर्स की कड़ी में एक और नई चीज है PU ( पॉलीयूरिथीन) बेस्ड और 3D वाॅलपेपर। कस्टमाइज वाॅलपेपर भी आजकल हर रेंज में अवेलेबल हैं और ये कस्टमर की जरूरत के मुताबिक मॉडिफाई किए जा सकते हैं।