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सभी को घर में सीपेज जैसी आम समस्या से दो-चार होना ही पड़ता है। कभी ये पानी घर की छत से गिरता है, तो कभी सीढ़ियों से। पड़ोसी भी अक्सर शिकायत करते हैं कि अाप बाथरूम की दरारें क्यों नहीं ठीक करवा लेते। घर में सीपेज की समस्या का समाधान है- वॉटर प्रूफिंग सर्विसेज। जिसके तहत घर की दीवाराें में दरारें आ जाने पर, छत से पानी की बूंदों के टपकने जैसी दिक्कतों को कैमिकल कोटिंग के जरिए रोका जाता है, बता रहे हैं वॉटर प्रूफिंग एक्सपर्ट शैलेंद्र पांडव ...
1. वॉटर प्रूफिंग वाले क्षेत्र हैं :
- टेरेस
- बेसमेंट
- ग्राउंड वॉटर टैंक
- ओवरहेड टैंक
- सिंक वॉटर प्रूफिंग
- टेरेस गार्डन
घर के अंदर और बाहर दोनों ही तरफ वॉटर प्रूफिंग की जाती है। जायकोसिल (zycoceal) और पॉलीजेल (polygel) जैसे अन्य कैमिकल के साथ वॉटर प्रूफिंग होती है।
2. टेरेस के लिए वॉटर प्रूफिंग :
- वॉटर प्रूफिंग के पहले उस जगह की सरफेस प्रिपरेशन देखी जाती है।
- अगर छत का कोई हिस्सा डेमेज या खराब है या उखड़ रहा है, तो पहले पैचअप किया जाता है। छत से लगी छत या दीवार से लगी दीवार के जॉइंट्स पर भी पड़ गई दरारों को पहले भरा जाता है।
- सीमेंट और कैमिकल को मिक्स करके चारों तरफ भरा जाता है। वॉल और फ्लोर के कॉर्नर एंगल पर, जहां जॉइंट होता है, वहां गोलची बनाई जाती है।
- इसके ऊपर फाइबर ग्लास कपड़े की परत को लगाया जाता है। फिर कैमिकल कोटिंग की जाती है।
3. बाथरूम के लिए वॉटर प्रूफिंग :
- बाथरूम एरिया में वाॅटर प्रूफिंग दो तरह से होती है- वॉल वॉटर प्रूफिंग और फ्लोर वॉटर प्रूफिंग।
- यह समस्या तब आती है, जब टाइल्स के जॉइंट्स के दरकने या क्रेक हो जाने से टाइल्स के नीचे वाले हिस्से (मदर सरफेस) में पानी बैठने लगता है।
- ऐसे में टाइल्स के जॉइंट्स को कैमिकल कोटिंग के जरिए भरा जाता है।
- सलाह तो ये दी जाती है कि बाथरूम एरिया में टाइल्स लगने के पहले ही वॉटर प्रूफिंग करवा लें, खासतौर से मकान के सेकंड या उससे ऊपर के फ्लोर को बनाते वक्त तो यह आवश्यक हो जाता है, साथ ही खराब टाइल्स या पुराने टाइल्स को बदलते वक्त भी।
4. बेसमेंट के लिए वॉटर प्रूफिंग :
- यहां ग्राउटिंग की जाती है। बेसमेंट की कांक्रीट वॉल में जॉइंट्स में से पानी आता है।
- दीवार में जहां कहीं भी दरारें दिखाई देती हैं, वहां नॉज़ल फिट किया जाता है।
- सीमेंट-कैमिकल को नॉज़ल के जरिए आरसीसी की कांक्रीट वॉल के अंदर सप्लाई किया जाता है।
- दीवार की बाहरी दरारों को वॉटरप्रूफिंग कैमिकल के जरिए बंद किया जाता है।
- दूसरी वॉटर प्रूफिंग की अपेक्षा, बेसमेंट वॉटर प्रूफिंग में ज्यादा खर्च आता है। करीब 180 रुपए प्रति स्क्वैयर फीट विथ मटेरियल और विथ कैमिकल एंड लेबर के साथ 70 रुपए प्रति स्क्वैयर फीट।
(टैंक वॉटर प्रूफिंग और ओवर हेड टैंक वॉटर प्रूफिंग की प्रोसेस टेरिस वॉटर प्रूफिंग जैसी ही होती है)
5. ड्यूरेबिलिटी व मेंटेनेंस :
एक बार वॉटर प्रूफिंग होने के बाद आमतौर पर 5-6 साल तक की गारंटी दी जाती है। मगर बीच में कोई समस्या आए, तो जिस जगह से पानी निकल रहा होता है, उस जगह मात्र की ही रिपेयरिंग की जा सकती है।
6. समय और चार्जेस :
वॉटर प्रूफिंग में जगह के हिसाब से आवश्यकतानुसार समय लगता है। कीमत वॉटर प्रूफिंग वाली जगह के हिसाब से तय की जाती है, जिसमें लेबर और कैमिकल चार्ज को शामिल किया जाता है।