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लाइटिंग न सिर्फ किसी खास जगह के मूड को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि लाइट अपने आप में एक महत्वपूर्ण डिजाइन टूल है। इंटीरियर डिजाइनर दीक्षा खत्री बता रही हैं लाइटिंग की अलग-अलग टेक्नीक के बारे में...
1एम्बिएंट लाइटिंग :
इस तरह की लाइटिंग बिना किसी चकाचौंध के पूरी जगह पर एक समान रोशनी देती है। कोव, वॉल-माउंटेड, लैंटर्न, शैंडलेयर्स और सीलिंग लाइट्स के माध्यम से आप एम्बिएंस लाइटिंग का प्रभाव पा सकते हैं।
2टास्क लाइटिंग :
जैसा कि नाम से ही जाहिर है, ये लाइटिंग किसी खास काम जैसे रीडिंग, कुकिंग वगैरह में हेल्पफुल होती हैं। टेबल लैम्प, डेस्क लैम्प और पेंडेंट्स (लटकाने वाली लाइट) टास्क लाइटिंग के प्रकार हैं। ऐसी लाइट चमकदार होनी चाहिए, लेकिन इतनी तेज भी नहीं कि आंखें चौंधियाने लगें।
3फ्लड लाइटिंग :
पूरे घर को रोशन कर देने वाली लाइट्स फ्लड लाइटिंग के अंतर्गत आती हैं।
4स्पॉट लाइटिंग/एक्सेंट लाइटिंग :
इस तरह की लाइटिंग किसी खास फीचर या चीज पर फोकस करने के काम आती हैं, जैसे की कोई मूर्ति, पेंटिंग, पौधा, फव्वारा वगैरह.... ये विंडो ट्रीटमेंट, वाॅल टेक्स्चर या आउटडोर लैंडस्केपिंग को हाइलाइट करने के भी काम आती हैं। एक्सेंट लाइटिंग सामान्य लाइटिंग के मुकाबले किसी ऑब्जेक्ट पर तीन गुना ज्यादा फोकस देती हैं।
5डाउन और अप लाइटिंग :
डाउन लाइटिंग की फिटिंग इस तरह की जाती है कि ये किसी ऊंची जगह से नीचे की तरफ रोशनी फेंकती हैं। जितनी ऊंचाई पर लाइट रहेगी, वह उतना ज्यादा एरिया रोशन करेगी। इसी तरह अप लाइटिंग की फिटिंग जमीन पर इस तरह की जाती है कि यह ऊपर की तरफ रोशनी फेंकती है। दोनों ही तरह के ऑप्शन टेरेस और गार्डन एरिया में विभिन्न लैंडस्केपिंग फीचर्स, मूर्तियों, घर की बाउंड्रीवाॅल को हाईलाइट करने के काम आते हैं।
6कोव लाइटिंग :
इस तरह की लाइटिंग छिपी हुई रहती हैं। खूबसूरत लुक के लिए कोव लाइटिंग का इस्तेमाल डायरेक्ट या इनडायरेक्ट लाइटिंग सोर्स के रूप में फाॅल्स सीलिंग और वाॅल पैनलिंग में किया जाता है।