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ईको फ्रेंडली लैंडस्केप या ग्रीन लैंडस्केप, आपके लैंडस्केप को डिजाइन, क्रिएट और मेंटेन किए जाने का एक तरीका है। ये समय, पैसा और एनर्जी के बेहतरीन मैनेजमेंट का रिजल्ट है। ईको फ्रेंडली लैंडस्केप हवा, पानी और जमीन का पॉल्यूशऩ कम करने और प्रकृति को बढ़ावा देने, वातावरण को हेल्दी बनाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं। ग्लोबल वार्मिंग जैसी बढ़ती हुई समस्या को कम करने के लिए ये आज की जरूरत है। आर्किटेक्ट ऋषिकेश फड़के बता रहे हैं ईको फ्रेंडली लैंडस्केप डिजाइन करने की कुछ सिम्पल टिप्स।
1. हार्डस्केप :
a. साइट के 10 किलोमीटर के दायरे में मिलने वाले मटेरियल्स का ही यूज करें, ताकि ट्रांसपोर्टेशन की लागत बचाई जा सके।
b. निर्माण के तरीकों पर गौर करें, जिससे आर्टिफीशियल मटेरियल्स और चीजों की जरूरत कम की जा सके।
c. कांक्रीट और प्लास्टिक के स्थान पर पेवर ब्लॉक्स और मिट्टी के मटेरियल्स का इस्तेमाल पेवमेंट्स के लिए करें, जिससे ग्राउंड वाॅटर लेवल बढ़ सके।
d. लैंडस्केप एरिया में पक्की रोड कम से कम बनाएं।
e. लकड़ी और कागज के इस्तेमाल को नजरअंदाज़ करें।
2. सॉफ्टस्पेस :
a. स्थानीय पौधों यानि लोकल प्लांट्स का इस्तेमाल करें, ताकि वे आस-पास की जगह से तालमेल बैठा सकें। ये पशु-पक्षियों और तितलियों को बेहतर तरीके से आकर्षित करके ईको सिस्टम और फूड चेन में अच्छे से फिट हो सकेंगे।
b. पेड़-पौधों में एक-दूसरे पर निर्भर होने की प्रवृत्ति होती है। किसी एक प्रजाति के पेड़ या पौधे को लगाने से (मोनोकल्चर प्लांटेशन) ये प्रवृत्ति प्रभावित होती है और इससे वे कमजोर होने लगते हैं और उनकी मेंटेनेंस कॉस्ट बढ़ जाती है।
3. लाइट्स :
a. पूरा लैंडस्केप एरिया हर समय रोशन नहीं रहना चाहिए।
b. 20/15 लक्स से कम की आर्टीफीशियल लाइट में लाइफ ज्यादा बेहतर पनपती है।
c. प्लास्टिक मटेरियल के बजाय मैटल फिक्सचर लगाना चाहिए।
d. एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करें।
e. लाइट की बीम नीचे की तरफ नहीं होनी चाहिए। इससे कुछ कीट-पतंगों और पक्षियों पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है। उनका लाइफ साइकल डिस्टर्ब होता है और उन्हें दिन और रात का फर्क समझने में दिक्कत होती है।
f. सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली की बचत की जा सकती है।
4.वाॅटर एंड ग्रोथ मीडियम :
a. वाॅश बेसिन, नहाने और वाॅशिंग मशीन से निकलने वाले पानी को बेसिक फिल्टर के जरिए साफ करके उसे लैंडस्केप में डायवर्ट किया जा सकता है, पेड़-पौधों को पानी दिया जा सकता है या फिर कार वाॅश की जा सकती है।
b. कार वाॅश का पानी केले जैसे वेस्ट वाॅटर पर जीवित रहने वाले पौधों के लिए फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
c. ड्रिप इरीगेशन सिस्टम के जरिए पौधों को सीधे पानी देकर बर्बादी से बचाया जा सकता है।
5.रीयूज, रीड्यूज, रीसाइकिल :
a. घर में इस्तेमाल हो चुके टाइल्स, दरवाजों, नॉब्स और लकड़ी का इस्तेमाल लैंडस्केप और गार्डन में कलात्मक तरीके से दोबारा किया जा सकता है।
b. नॉन बायोडिग्रेडेबल मटेरियल्स को दोबारा इस्तेमाल करने की गुंजाइश कम होती है। मिट्टी और इसी तरह के मटेरियल्स का इस्तेमाल धरती को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
c. स्टॉर्म वाॅटर ड्रेन सिटी के वाॅटर मैनेजमेंट सिस्टम और प्राकृतिक जल स्त्रोतों पर दबाव कम करता है।
d. किसी जगह को साफ करने का सबसे सिम्पल तरीका झाड़ू या ब्रश है। केमिकल ट्रीटमेंट या रीपेंटिंग कम से कम करें।