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टाइल शब्द आमतौर पर एक पतले मिट्टी के पकाए हुए टुकड़े के लिए यूज किया जाता है, और ये फॉर्मेट किसी भी मटेरियल के लिए यूज हो सकता है, जैसे ग्रेनाइट टाइल, सिरामिक टाइल, रबर टाइल या फिर एक कारपेट टाइल। टाइल का बेहद मॉड्युलर नेचर उन्हें आसानी से इंस्टॉल करने में मदद करता है और इससे समय और पैसे की बचत होती है। इस आर्टिकल के जरिए अलग-अलग तरह के टाइल्स के बारे में चंडीगढ़ के आर्किटेक्ट मनमोहन खन्ना दे रहे हैं जानकारी...
- टाइल्स दो तरह के होते हैं- नैचुरल और मैन्युफैक्चर्ड। नैचुरल टाइल्स या तो पत्थर (देशी या इम्पोर्टेड दोनों तरह के) या फिर लकड़ी के बनाए जाते हैं।
- ईंटें भी एक तरह की टाइल्स ही हैं, जो मानव निर्मित हैं। ईंटों में बेहतरीन इंसुलेशन पावर होती है, जो कि फर्श का टेम्प्रेचर रेगुलेट करके गर्मियों में उसे ठंडा और सर्दियों में गर्म रखने का काम करती हैं।
- सिरेमिक टाइल्स खास तरह की मिट्टी से बनाए जाते हैं। ये पहले बनाकर क्रश किए जाते हैं और इनमें कलर लाने के लिए खास शेड का पिगमेंट मिलाया जाता है। इन्हें फिर लगभग 700 डिग्री टेम्प्रेचर पर पकाया जाता है।
- पोर्सलीन टाइल्स भी सिरेमिक टाइल्स का एक प्रकार हैं, लेकिन इनकी मोटाई थोड़ी ज्यादा होती है और ये पानी कम सोखती हैं। इन्हें चीनी मिट्टी से बनाया जाता है, इनकी खोज यूरोप में हुई थी। पत्थर की फ्लोरिंग का ये बेहतरीन विकल्प हैं क्योंकि ये सख्त होते हैं और अपने मॉड्यूलर नेचर के कारण आसानी से इंस्टाॅल किए जा सकते हैं। हालांकि अगर इन पर कोई भारी चीज गिरे, तो ये आसानी से टूट भी जाते हैं। इन्हें हार्ड सब-फ्लोर पर लगाने की सलाह दी जाती है।
- विट्रीफाइड टाइल्स में सिलिका ज्यादा होता है और ये आमतौर पर 2x2 फीट के आकार में आते हैं। इनकी टॉप कोटिंग में हाई मिरर पॉलिश होती है और इन्हें सफेद मिट्टी का इस्तेमाल कर काफी हाइ टेम्प्रचर पर पकाया जाता है। ये भारत में गुजरात के मोरबी में ज्यादा बनते हैं। अपनी शाइनिंग के कारण ये टाइल्स आजकल ज्यादा पॉपुलर हैं।
- सीमेंट टाइल्स एक सांचे का यूज करके बनाए जाते हैं, इन्हें सुखाकर इन्हें पानी में डाला जाता है। ये सिर्फ सीमेंट से नहीं बनाए जाते, इनमें कांक्रीट जैसी मजबूती के साथ ही चिकनापन भी रहता है। इनका इस्तेमाल इंडोर के अलावा आउटडोर फ्लोर की खूबसूरती के लिए किया जा सकता है। इन्हें कांक्रीट टाइल्स भी कहते हैं।
- इंजीनियर्ड स्टोन या एग्लोमेरेट स्टोन टाइल्स पत्थरों के चूरे से बनाए जाते हैं, जिन्हें एड्हेसिव की सहायता से जोड़ा जाता है। क्वार्ट्ज और मार्बल आमतौर पर नैचुरल स्टोन के रूप में इंजीनियर्ड स्टोन टाइल्स में यूज होते हैं।
- लेमिनेट फ्लोरिंग सिंथेटिक फ्लोरिंग होती है, जिसमें कई लेयर्स को आपस में चिपकाया जाता है। एक क्लियर प्रोटेक्टिव लेयर के अंदर की डेकोरेटिव लेयर आमतौर पर वुड या स्टोन का लुक देती है। लेमिनेट फ्लोर लगाने में काफी आसान होते हैं। इन्हें बहुत ही आसान तरीके से नीचे की फोम की लेयर पर बिछाया जा सकता है। लेमिनेट फ्लोरिंग को रीपॉलिश नहीं किया जा सकता।
- सॉलिड वुडन फ्लोरिंग लकड़ी के एक लट्ठे की पटिया बनाकर बनाई जाती है, जबकि इंजीनियर्ड वुड में लकड़ी की एक या कई लेयर्स हो सकती हैं, इन्हें मजबूती के लिए समकोण पर रखा जाता है। दोनों तरह की वुडन फ्लोरिंग को फिर से चमकाया और फिनिशिंग किया जा सकता है। हालांकि ऐसा कर पाना उसकी ऊपरी सतह की मोटाई पर निर्भर करता है। पैरक्वेट फ्लोरिंग में भी लकड़ी का यूज होता है (आमतौर पर सॉलिड वुड फ्लोर की तुलना में लकड़ी के छोटे टुकड़ों का) इन्हें डेकोरेटिव तरीके से अरेंज किया जाता है, जिससे मोज़ाइक इफेक्ट आ सके।
- पीवीसी (पॉली विनायल क्लोराइड) और रबर फ्लोरिंग टाइल्स भी काफी प्रचलन में हैं। पीवीसी टाइल्स को दो अलग- अलग कैमिकल्स को मिक्स करके रेक्जीन का इस्तेमाल करके फैलाया जाता है। इसके बाद मनचाहा पैटर्न या सरफेस टाइल पर छप जाता है।
- कारपेट टाइल्स पारंपरिक कारपेट रोल का आधुनिक विकल्प हैं। इन्हें कई क्रिएटिव डेकोरेटिव स्कीम्स में इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी भी मॉड्युलर की तरह ये ट्रांसपोर्ट और इंस्टॉल करने में काफी आसान हैं।