Hrishikesh Phadke
Architect
Text: Saylee Soundalgekar
Photograph: Shutterstock

घरेलू कामकाज से लेकर सोलर पैनल लगाने तक टेरेस का इस्तेमाल कई चीजों के लिए किया जाता है। जिस टेरेस पर ह्यूमन एक्टिविटी होती हो, वो ज्यादा यूजफुल स्पेस होता है। इसी तरह अपनी टेरेस पर ऑर्गेनिक फार्म बनाना काफी रिफ्रेशिंग एक्टिविटी है। आर्किटेक्ट ऋषिकेश फड़के बता रहे हैं टेरेस पर ऑर्गेनिक फार्म बनाने की कुछ उपयोगी टिप्स।
 
  1. शुरू करने से पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें कि टेरेस पर पानी की निकासी और वाॅटरप्रूफिंग की पर्याप्त व्यवस्था है कि नहीं। इन सबकी व्यवस्था होनी जरूरी है। इसका एक तरीका ब्रिकबैट कोबा है, जिसमें आरसीसी (रिइन्फोर्समेंट सीमेंट कांक्रीट) के स्लैब निकाले जाते हैं, सतह को साफ किया जाता है, गिट्टियां निकाल दी जाती हैं और वाॅटरप्रूफिंग मटेरियल के साथ सीमेंट मिलाकर लगाई जाती है। इसका इस्तेमाल टेरेस को सपाट और समतल बनाने के लिए किया जाता है, ताकि पानी जमा न हो सके।
  2. अब फिनिश्ड टेरेस सरफेस पर एक ड्रेन बोर्ड लगाएं। इसमें बने छेद पानी निकाल देंगे और पानी सतह पर जमा नहीं हो पाएगा। ये पानी स्टॉर्म वॉटर ड्रेन पाइप्स से बह जाएगा। एंटी रूट ट्रीटमेंट या रूट रेपेलेंट पेंट भी वाॅटरप्रूफिंग मटेरियल के ऊपर करवाना ज्यादा बेहतर होता है। इसके बाद 155 जीएम या स्क्वेयर मीटर का जिओटेक्सटाइल कपड़ा ड्रेन बोर्ड के ऊपर बिछाएं, ताकि फिल्टरेशन हो सके। ये कपड़ा अतिरिक्त पानी को ड्रेन बोर्ड के जरिए निकाल देता है।
  3. अब इस पर मिट्टी या कोको पीट (नारियल के जटा का चूरा) या फिर दोनों मिलाकर ग्रोथ मीडियम की तरह बिछाएं ( ग्रोथ मीडियम छोटे पौधों की ग्रोथ के लिए एक सॉलिड या लिक्विड मीडियम होता है।) कोको पीट इसलिए यूज की जाती है क्योंकि ये लाइटवेट होती है और पानी को अच्छी तरह सोखती है। हालांकि कोको पीट में न्यूट्रिएंट्स नहीं होते, इसलिए इसमें पानी और न्यूट्रिएंट्स निर्धारित मात्रा में मिलाया जाना जरूरी है। कोको पीट लंबी छुट्टियों में देखभाल न हो पाने के दौरान भी पौधों की पानी की जरूरत पूरी करता रहता है।
  4. स्टोरेज के लिए बायो फर्टिलाइजर्स और वर्मी कम्पोस्टिंग को ग्रोथ मीडियम में मिलाकर गमले में पौधे के साइज के मुताबिक डालना चाहिए। गमले के अलावा आप ऑइल केन, पुराने हेलमेट्स, दूध और सब्जी की क्रेट्स, लकड़ी के गुट्टे, मोटे प्लास्टिक बैग्स, पानी की बड़ी बोतलें, पेंट के डिब्बे, या पीवीसी पाइप्स का इस्तेमाल भी खूबसूरती बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। इसके अलावा मिट्टी, सीमेंट या टेराकोटा के बने पॉट्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  5. पौधों की सिंचाई के लिए आप सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी भी यूज कर सकते हैं।
  6. छत पर उगाई जा सकने वाली सब्जियों में भिंडी, टमाटर, मिर्ची, धनिया, मेथी के अलावा सभी तरह की हरी सब्जियां शामिल हैं। जैस्मिन, चम्पा जैसे फूल उगाए जा सकते हैं। छत पर मोटी जड़ और कंद वाले पौधों को लगाना अवॉइड करें, जब तक कि गहरे गमले में न लगाए जाएं।
  7. पौधों की प्रजाति के मुताबिक धूप और हवा को नेट और मंडप की तरह घेरा बनाकर कंट्रोल किया जाना चाहिए।
  8. कीट-पतंगों से पौधों को बचाने के प्रबंध भी करना चाहिए, स्प्रे बॉटल में एक लीटर पानी में 10 मिली. नीम का तेल मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें। मिर्ची, लहसुन और अदरक के पौधे खुद को कीड़ों से बचा सकते हैं, वहीं पौधों पर लकड़ी या कंडे की राख का छिड़काव करने से भी फायदा होता है।
  9. कीट-पतंगों से बचाव का एक साधन पक्षी भी हैं। टेरेस पर बर्ड बाथ और बर्ड फीडर रखकर पक्षियों को आकर्षित किया जा सकता है।
  10. टेरेस पर फार्म बनाने से पहले अपने वर्तमान आरसीसी फ्रेमवर्क की लोड बियरिंग केपिसिटी के बारे में किसी अच्छे स्ट्रक्चरल इंजीनियर से सलाह ले लें। इसी तरह किसी हॉर्टीकल्चरिस्ट यानि पौधों के जानकार से भी सलाह-मशविरा कर लें।
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About the author
Hrishikesh Phadke
Architect

Hrishikesh Phadke acquired a master’s degree in landscape architecture in 1999 from the school of planning and architecture. Later he started a landscape design consultancy under the name of NEWARCH®. With his expertise in planning, design and construction administration, this firm has grown in experience and employee strength thereby converting the landscape design consultancy firm into open spaces design firm. With over 15 years of experience, his in-depth knowledge in this field helped to produce and execute many sustainable landscape designs for clients.

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