Pranay Chugh
Biotechnologist
Anchor: Priya Arya
Photographs: Shutterstock, icwow.blogspot.in

क्रीपर्स यानी लताएं, घर में हरियाली का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। सालभर खिले रहने के कारण ये घर के वातावरण को सुहाना बनाए रखते हैं। कभी भी इन्हें लगाया जा सकता है। इनकी सही तरह से देखभाल हो, तो ये 40 साल तक घर की शोभा बढ़ा सकते हैं। प्लांट एक्सपर्ट प्रणय चुघ बता रहे हैं घर में लगाए जाने वाले ऐसे ही 10 क्रीपर्स के प्रकार के बारे में ...
 

1Bigonia venusta:

यह क्रीपर 15 फीट तक बढ़ सकता है। फरवरी, मार्च, अप्रैल जैसे गर्मी के महीनों की शुरुआत में इनमें फूल खिलने लगते हैं, जिनका रंग ऑरेंज और आकार तुरही (trumpet) की तरह होता है। क्रीपर में आने वाले ये फूल सूर्य की रोशनी में भी खिलते हैं और हल्की छांव वाली जगह में भी।

2Malphigia:

इस क्रीपर में आने वाले फूलों का रंग सफेद होता है। हालांकि इसकी लंबाई ज्यादा नहीं होती, बमुश्किल 1 से 2 मीटर। आप इस क्रीपर को एल्युमीनियम वायर से बांधकर इसे मनचाहा आकार दे सकते हैं। पूरे साल इस क्रीपर में फूल आते हैं। इस क्रीपर से बोनसाई भी तैयार किया जा सकता है। सूर्य की भरपूर रोशनी में बढ़ता है। इस क्रीपर के लिए नमी वाली मिट्‌टी अच्छी होती है।

3Aparajita:

यह ब्लू कलर का बड़ा ही डेलीकेट सा फूल है, जो सालभर खिलता है। तनाव कम करके याद्दाश्त बढ़ाने में मददगार यह फ्लावर वाला क्रीपर दर्द और सूजन आदि को कम भी करता है। इसकी पत्तियों से निकले गए जूस को ईयरड्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि यह सिरदर्द को ठीक करने में भी मदद करता है। ब्रेन डेमेज और डाइजेशन की समस्या के लिए भी लोग इसे यूज कर सकते हैं।

4Mandevilla:

घर के अंदर और घर के बाहर दोनों ही जगहों के लिए परफेक्ट है यह क्रीपर। इसमें रेड और वाइट फ्लावर्स आते हैं। सालभर आने वाले इन खूबसूरत फूलों की ग्राेथ बहुत धीमी है। इन्हें छाया वाली जगह पर ही लगाया जाना चाहिए, क्योंकि सूर्य की रोशनी में ये जल जाते हैं। इन क्रीपर्स को ग्रो करने के लिए सपोर्ट सिस्टम चाहिए होता है, इसलिए किसी जाली वगैरह से क्रीपर को सपोर्ट सिस्टम देना न भूलें।

5Rakhi be (Passiflora):

पूरे साल इस क्रीपर में पर्पल और रेड कलर के फ्लावर्स आते हैं, जो नर्म-नर्म झाड़ियों जैसे ग्रो करते हैं। ये क्रीपर फूलों के साथ हरी-भरी पत्तियों से भरा होता है। यह पत्तियां डार्क ग्रीन कलर की होती हैं। इन फूलों की चौड़ाई 8 सेमी होती है, जिनमें कोरॉनल फिलामेंट्स (बारीक-बारीक रेशे) होते हैं।

6Allamanda blanchetii:

यूं तो इसके फूलों का रंग पिंक होता है, मगर ये विंटर सीजन में अपना रंग बदल लेता है। यह क्रीपर 9 से 18 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक बढ़ सकता है। इसे पूरी तरह से ग्रो होने के लिए पर्याप्त सूर्य की रोशनी चाहिए, तो छायादार जगह भी। सर्दियों में, इसे कम नमी वाली मिट्‌टी की जरूरत होती है।

7Ivy:

यह क्रीपर करीब 50 फीट तक ऊंचा हो सकता है। इसका पत्ता, 5 छोटी-छोटी पत्तियों के समूह जैसा लगता है। जब ये पत्ते आने शुरू होते हैं, तब उनका कलर रेड होता है, दूसरे क्रीपर्स की तरह इन्हें सपोर्ट की जरूरत नहीं होती, ये अकेला ही अच्छी तरह से स्टैंड कर सकता है। जून से अगस्त में खिलने वाली ये पत्तियां तेजी से बढ़कर अपना आकार ले लेती हैं।

8Taecoma:

उड़ते पंछियों के पसंदीदा आकर्षण वाले इस फूल का रंग ब्लू या ऑरेंज होता है, जो पूरे साल खिलते हैं। अगर इसकी कांट-छांट (प्रूनिंग) ठीक तरह से की गई, तो यह क्रीपर 30 से 40 फीट ऊंचा जा सकता है। इस क्रीपर को पानी की जरूरत कम होती है, इसलिए ध्यान रखना होता है, जब जरूरत हो, तभी इसमें पानी डाला जाए।

9Ipomoea sloteri:

इस क्रीपर में रेड कलर ट्रम्पेट शेप (तुरही आकार) में फ्लावर्स आते हैं, जो गर्मियों के मौसम में अाना शुरू होते हैं। इस क्रीपर को बढ़ने के लिए बहुत अच्छी मिट्‌टी और अतिरिक्त खाद की जरूरत नहीं होती। जब यह क्रीपर नन्हा पौधा हो, उस वक्त से इसके 1 से 2 इंच बढ़ने तक नियमित रूप से पानी देने की जरूरत होती है। यह क्लाइंबर्स अधिकतर कीट-पतंगे मुक्त होते हैं।

10Nelsonia:

इसे ब्लू पुसीलीफ भी कहा जाता है। छायादार जगहों पर ये ग्रो करते हैं। इस क्रीपर के तने लगभग 35 सेमी की ऊंचाई तक बढ़ सकते हैं। इसमें आने वाले फूल ब्लू, वाइट और पर्पल कलर में होते हैं। क्रीपर में आने वाली पत्तियां विपरीत दिशाओं में आती हैं, जबकि फूल शाखाओं के किनारों पर आते हैं, जिनका आकार बेलनाकार (सिलेंड्रिकल स्पाइक) होता है। इसे हर्ब प्लांट की तरह ट्री किया जाता है, इस क्रीपर की जड़ें जमीन में गहरे जाती हैं। जड़ों सहित इस क्रीपर को डायरिया अौर सूजन-जलन जैसी बीमारियों में दवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

गमले में लगाने के तरीके :-

आमतौर पर क्रीपर्स को जमीन में ही रोपा जाता है। लेकिन अाप अगर किसी पॉट में इसे लगाना चाहते हैं, तो पॉट का डायमीटर यानी गोलाई कम से कम 20 इंच होनी चाहिए। इससे छोटा पॉट, प्लांट की ग्रोथ को प्रभावित करेगा। बीज या पौधे को रोपने की तकनीक हमेशा की तरह होगी। अगर क्रीपर घर में लगाए जा रहे हैं, तो पौधों का उपयोग करें और कमर्शियली लगाने हैं, तो बीज का क्योंकि इसकी प्रक्रिया काफी लंबी हाेती है, जिसे करना घर में संभव नहीं।

मेंटेनेंस और केयर :-

  • क्रीपर्स को शेप देने के लिए एल्युमीनियम वायर या नारियल की रस्सी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • क्रीपर्स को बराबर पानी देते रहें, वरना इनके फूल का रंग और खिलना प्रॉपर नहीं होगा।
  • काले कीटों और फंगस लगने से प्लांट्स मुरझा सकते हैं, इन्हें सुरक्षित रखने के लिए रोगाेर और फंगीसाइड जैसे इंसेक्टीसाइड यानी कीटनाशक दवाअों का इस्तेमाल करें। प्लांट्स में खासतौर से फंगस लगती है, ऐसे में प्लांट्स को पहले पानी के तेज छिड़काव से साफ करें, फिर उसमें फंगीसाइड लगाएं।
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About the author
Pranay Chugh
Biotechnologist

<span style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">Pranay Chugh is the owner of a plant nursery in Bhopal. With a work experience of 10 years, he has a wide knowledge of different types of plants, their propagation and maintenance. Pranay has also worked as a consultant in many private and government projects.</span>

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