Housing Demand: नहीं बिक रहे सस्ते घर, जानिए क्यों खरीदार नाखुश... ये तीन कारण

Affordable House: कोविड-19 से पहले सस्ते रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स की हिस्सेदारी कुल प्रोजेक्ट्स का लगभग 40% तक थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं, और जानकारों का मानना है कि लोग अब बड़े, खासकर 3BHK घरों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

देश में कोविड-19 के बाद से अफोर्डेबल घरों की बिक्री में लगातार गिरावट देखी जा रही है। ANAROCK-FICCI के हालिया Homebuyer Sentiment Survey 2024 में बताया गया है कि 53% खरीदार सस्ते घरों से संतुष्ट नहीं हैं। इस गिरावट के पीछे तीन मुख्य कारणों का जिक्र किया गया है:

  1. लोकेशन की समस्या: सर्वे के अनुसार, 92% खरीदारों ने शिकायत की है कि अफोर्डेबल घरों की लोकेशन बहुत खराब है। यह घर अक्सर शहर से दूर या अविकसित इलाकों में होते हैं, जिससे उनके आसपास सुविधाओं की कमी होती है।
  2. निर्माण गुणवत्ता: 84% लोगों का मानना है कि अफोर्डेबल घरों में निर्माण की गुणवत्ता बेहतर नहीं होती। सस्ते घरों के निर्माण में सामग्री और तकनीकी का इस्तेमाल घटिया स्तर का होता है, जिससे खरीदार असंतुष्ट हो जाते हैं।
  3. यूनिट्स का आकार: 68% खरीदारों को लगता है कि सस्ते घर छोटे होते हैं और परिवार की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते। खासकर, जो घर अफोर्डेबल कैटेगरी में आते हैं, वे परिवारों के लिए पर्याप्त जगह नहीं दे पाते, जिससे उनका आकर्षण कम हो रहा है।

घटती मांग का असर:

अफोर्डेबल घरों की गिरती डिमांड का सीधा असर नए प्रोजेक्ट्स पर पड़ा है। 2024 की तीसरी तिमाही तक, केवल 17% प्रोजेक्ट्स ही अफोर्डेबल कैटेगरी में थे, जबकि 2021 में यह हिस्सेदारी 26% थी। कोविड से पहले यह आंकड़ा 40% तक पहुंच चुका था। यह बदलाव इस बात की ओर इशारा करता है कि लोग अब बड़े और स्पेशियस घरों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं, खासकर 3BHK फ्लैट्स की मांग तेजी से बढ़ी है।

2BHK की घटती मांग:

Homebuyer Sentiment Survey 2024 के अनुसार, 51% खरीदार अब बड़े फ्लैट्स, जैसे कि 3BHK, को पसंद कर रहे हैं, जबकि 2BHK की मांग केवल 39% लोगों में बची है। चेन्नई, दिल्ली-NCR, और बेंगलुरु जैसे शहरों में बड़े फ्लैट्स की मांग सबसे ज्यादा है, जबकि मुंबई और पुणे में 2BHK फ्लैट्स की डिमांड अभी भी बनी हुई है।

एक और दिलचस्प बदलाव यह है कि अब लोग अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में भी घर बुक कराने में रुचि दिखा रहे हैं। पहले, रेडी-टू-मूव घरों की तुलना में नए प्रोजेक्ट्स की डिमांड कम थी, लेकिन अब यह आंकड़ा बदलकर 20:25 हो गया है। इसका कारण प्रमुख डेवलपर्स पर खरीदारों का भरोसा बढ़ना है, जो समय पर प्रोजेक्ट्स पूरा करने का वादा कर रहे हैं।

निवेश की बढ़ती रुचि और रेंटल इनकम पर फोकस:

सर्वे में निवेश के नजरिए से भी कई दिलचस्प जानकारियां सामने आई हैं। 57% निवेशक अब किराए से मिलने वाली इनकम पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पिछले दो सालों में प्रमुख शहरों में किराए में 70% तक की वृद्धि देखी गई है। इसका असर यह हुआ है कि रियल एस्टेट निवेशक उन इलाकों में अधिक निवेश कर रहे हैं, जहां से उन्हें बेहतर रेंटल इनकम मिल सके।

सस्ते घरों की घटती मांग और बड़े फ्लैट्स की बढ़ती लोकप्रियता से यह साफ है कि अब भारतीय खरीदार बेहतर स्पेस, सुविधाएं, और गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रहे हैं। साथ ही, किराये से आय की बढ़ती संभावनाएं भी रियल एस्टेट में निवेश के नए अवसर प्रस्तुत कर रही हैं।

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